Sunday, July 28, 2013

इसीमे है जिंदगी का मिलना


उठ जा पंछी । हवा पुकारे
गली में बिछड़ा पत्ता जाने
हवा का रोख , बारिश का गिरना ,,, इसीमे है जिंदगी का मिलना।

चलती जिंदगी , रुकना सही
सांस मन भरके पिना भी है
तोड़ ना दौड़।रुकना न तू ।  किसी पुकार की बस देर है ।

हस ले तभी जब गिर जाएगा
हाथ दे दोस्त , जब संभल जाएगा
मिटटी भरी सांस जब आजमाओगे , पैरो पे मिटटी तो बनती ही है

तेरा कदम चाहे किसी ओर
साथ जब मन के जब दिल भी है
न शक इस उड़ान के कोई आसपास है ,, आसमान जहा जाओ तेरे साथ है

एक बूंद एक आवाज
कोई तो हो अपने साथ ,, दिल है तो पुकार है
आज  अपना साथ दे। उसपार रोशनी , आज तेरा इंतजार है …