Sunday, July 28, 2013

इसीमे है जिंदगी का मिलना


उठ जा पंछी । हवा पुकारे
गली में बिछड़ा पत्ता जाने
हवा का रोख , बारिश का गिरना ,,, इसीमे है जिंदगी का मिलना।

चलती जिंदगी , रुकना सही
सांस मन भरके पिना भी है
तोड़ ना दौड़।रुकना न तू ।  किसी पुकार की बस देर है ।

हस ले तभी जब गिर जाएगा
हाथ दे दोस्त , जब संभल जाएगा
मिटटी भरी सांस जब आजमाओगे , पैरो पे मिटटी तो बनती ही है

तेरा कदम चाहे किसी ओर
साथ जब मन के जब दिल भी है
न शक इस उड़ान के कोई आसपास है ,, आसमान जहा जाओ तेरे साथ है

एक बूंद एक आवाज
कोई तो हो अपने साथ ,, दिल है तो पुकार है
आज  अपना साथ दे। उसपार रोशनी , आज तेरा इंतजार है … 

Friday, March 22, 2013

तू

तेज तू रुद्ध तू
अखंड ज्ञात प्रवासी तू
तप्त तू , तूच मिहिर
वंद्य तू , नित्य तू

तूच प्रियकर झुरत्या निशेचा
सागराचा बांध  तू
तुझ्या पावली पलटे ऋतू
तुझ्या मागुनी चंद्र हसू


कोवळा जन्म तुझा , नित्य क्षणी रंगतदार
नव नवलाई तारुण्याची प्रभा सांडे दारोदार
कर्तृत्वाचे तेज तळपे मध्यांनी दौडत रथ
सांज साजिरी गार पावली नकळत जाई पसरत

तुझ्या स्पंदना वाचून जैसे जग राहाटी थांबली
आसक्त या जीवाला नव संवेदना लाभली
क्षणभंगुर आहे सुख तैसे दुक्ख ही
बालकाचे बाल्य आणिक रसरशीत तारुण्य  ही

नुकती उमलली कळी तरी अखंड प्रवास माथी
ओला  दव कण पिउनि कमळा तुळशीपत्र नच चुकती
तूच सखा तूच ज्ञाता तूच मार्ग दर्शवितो
तूच सत्य तूच शाश्वत तूच जीवन जाणतो